सोमवार, 16 जनवरी 2012

टार्चलाइट क महत्व आ चूस बाबा

बच्चा में जहिया मात्रिक जाइत रही, एकटा चीज हरदम आकर्षित करैत रहय। सांझ भेला क बाद गाम क सभ गोटे लग टार्चलाइट जरूर रहैत छलैक। तहिया उत्सुकता रहैत छल। एक दिन बाबू से पुछलियैन्हि, तं बुझौलैन्हि- एहि ठाम सांप बहुत छैक। ताहि दुआरे सभ टार्चलाइट रखैत अछि।
मोन पड़ैत अछि चूस बाबा (गुजूर बाबू-मुखियाजी-नीक नाम चेतनारायण राय) लग पांच बैटरी वाला टार्चलाइट छलैन्हि। ओकर आकार छोट सन डंटा क बराबर छलैक। ओ अन्हार में चलैत छलाह, तं हाथ क डंटा पृथ्वी पर पटकैत छलाह। अद्भुत लोक छलाह चूस बाबा। दुर्गागंज सं वापस अयबा सं पहिने हुनका ओहिठाम एक सांझ भोजन जरूर होइत छल।
एखनहु दुर्गागंज में सांझ भेला क बाद सबहक हाथ में टार्चलाइट जरूर देखल जा सकैत अछि।
टार्चलाइट क एहन महत्व आन ठाम देखबा में नहिं आयल। चूस बाबा सन लोक सेहो दोसर क्यो नहिं भेटल।