शुक्रवार, 16 नवंबर 2012

पहिल बेर गेलहुं कल्याणी



कल्याणी, बच्चा में खाली नाम सुनैत रही, जयबाक सौभाग्य नहिं भेटल रहय। कारण पता नहिं, मुदा नहिं गेल रही। प्रायः वर्ष 1977 में पहिल बेर कल्याणी जयबाक अवसर भेटल, कल्याणी मेला क अवसर पर। सुनैत छलियैक, तैं उत्सुक रही। दिन में करीब 10 बजे मामा, छोटका मामा, सुनील मामा, हीरू मामा आ आन सभ क संग पयरे गेलहुं कल्याणी। अद्भुत अछि ई जलकर।  किछु दिन पहिने मामा कल्याणी क फोटो पठौलैन्हि।

रविवार, 4 नवंबर 2012

छोटा मामाजी क गप्पः मोची काम-खाट बीनो

छोटा मामाजी (धरणीश्वर सिंह, प्रसिद्ध सुदर्शन जी) दुर्गागंज क भगिनमान छलाह। पचही (मधुबनी) रहैन्हि हुनकर गाम। हुनकर माय, जिनका हम सभ पीसी नानी कहैत छलियैन्हि, हमर बाबू क एकमात्र बहिन रहथिन्ह। छोटा मामाजी क व्यक्तित्व अद्भुत छल। बच्चा सभ सं हुनका विशेष आसक्ति रहैन्हि। दुर्गागंज में हुनकर अलग स्थान छलैन्हि।
हम बच्चा रही। बाबू सभ इलाहाबाद में छलाह। हम सभ सेहो इलाहाबाद जाइत छलहुं। ओतय 1/25, जवाहर लाल नेहरू रोड में बाबू क डेरा छलैन्हि। छोटा मामाजी सेहो रहैत छलाह। हरदम हमरा कहैत छलाहः मोची काम खयबें, खाट बीनो खयबें। कहैत छलियैन्हि, हं, ते बाउंड्री वाल पर पसरल एकटा लत्ती वाला गाछ क पात तोड़ि कय ओहि पर एकटा ढेपा राखि कय दय दैत छलाह। इलाहाबाद में जूता सिलाई करबाक लेल जे लोक अबैत छलैक, से हांक लगबैत छल, मोची काम आ खटिया बीनय बला सभ कहैत छल खाट बीनो।
एक बेर दुर्गागंज में छोटा मामाजी स्कूल क फुटबाल टीम क संग मैच आयोजित करौलैन्हि। हाई स्कूल क टीम क मुकाबला में दुर्गागंज क टीम क सदस्य छलाह, मामा, छोटका मामा, चूस बाबा, बीनू बाबा (विनय गोपाल झा), कंतू मामा (कंत गोपाल झा), नेपू मामा (नृपेद्र गोपाल झा) आदि। ओहि मैच में हम लाइंसमैन रही।
छोटा मामाजी सं अंतिम भेंट हमरा पक्कू क उपनयन में भेल। ओहिने आसक्ति आ वात्सल्य सं भरल। हरदम सोर पाड़ैत छलाहः रौ राजू, खाट बीनो खयबें, मोची काम खयबें।
ठीके अद्भुत छलाह छोटा मामाजी।

शनिवार, 1 सितंबर 2012

ई थिक दुर्गागंज क माइलस्टोन, अर्थात सरकारी हाता



आई मामा (श्री जयंत जी) अपन मेल आइ डी से तीन टा फोटो पठौलैन्हि। ई तीनू फोटो देख के बुझा जायत कि दुर्गागंज क माइलस्टोन थिक सरकारी हाता, अर्थात हमर मातृक। ई मात्र मकान बा ककरो घर नहिं छियैक। ई एकटा एहन स्थान अछि, जतय सं हमर सबहक शरीर, आत्मा आ स्मरण सहित कतेको चीज सटल अछि।

बुधवार, 4 जुलाई 2012

छोटका मामा क मोटर साइकिल

1974 में छोटका मामा एकटा मोटर साइकिल किनलैन्हि। बी.एस.ए., जे संभवतः एक लीटर पेट्रोल में पांच-दस किलोमीटर चलैत छलैक। असल में ओ मोटर साइकिल चलैत कम छलैक आ ठीक बेशी होइत छलैक। ओकरा स्टार्ट करबाक लेल ठेलबाक जरूरत पड़ैत छलैक। ओकर मिस्त्री छलैक भुवन मिस्त्री, जे पूर्णिया में रहैत छल। सप्ताह में तीन दिन ओ दुर्गागंज आबि दिन भरि मोटर साइकिल ठीक करैत छल। कैक बेर ओकरा बजेबाक लेल हमरो पूर्णिया पठाओल गेल।
एक बेर दुर्गागंज गेलहुं, त मामा के पंडित जी के पहुंचेबाक लेल जयबाक छलैन्हि। मामा हमरो संग लय लेलैन्हि। विदा भेलहुं। मामा मोटर साइकिल चलबैत रहथि। हम बीच में आ पंडित जी पाछू में रहथि। पंचवटी लग पहुंचलहुं तं बालू में मोटर साइकिल उलटि गेलैक। तीनू गोटा खसलहुं। चोट ककरो नहिं लागल, मुदा पायजामा में मोबिल क दाग लागि गेल।
छोटका मामा क ओ मोटर साइकिल के स्टार्ट करबाक लेल रमदेवा आ देविया रहैक। ओ सब ओकरा ठेल के स्टार्ट करय आ कूदि के पाछू में लगाओल गेल तख्ता बला सीट पर बैस जाय। अद्भुत छल ओ मोटर साइकिल।

सोमवार, 16 जनवरी 2012

टार्चलाइट क महत्व आ चूस बाबा

बच्चा में जहिया मात्रिक जाइत रही, एकटा चीज हरदम आकर्षित करैत रहय। सांझ भेला क बाद गाम क सभ गोटे लग टार्चलाइट जरूर रहैत छलैक। तहिया उत्सुकता रहैत छल। एक दिन बाबू से पुछलियैन्हि, तं बुझौलैन्हि- एहि ठाम सांप बहुत छैक। ताहि दुआरे सभ टार्चलाइट रखैत अछि।
मोन पड़ैत अछि चूस बाबा (गुजूर बाबू-मुखियाजी-नीक नाम चेतनारायण राय) लग पांच बैटरी वाला टार्चलाइट छलैन्हि। ओकर आकार छोट सन डंटा क बराबर छलैक। ओ अन्हार में चलैत छलाह, तं हाथ क डंटा पृथ्वी पर पटकैत छलाह। अद्भुत लोक छलाह चूस बाबा। दुर्गागंज सं वापस अयबा सं पहिने हुनका ओहिठाम एक सांझ भोजन जरूर होइत छल।
एखनहु दुर्गागंज में सांझ भेला क बाद सबहक हाथ में टार्चलाइट जरूर देखल जा सकैत अछि।
टार्चलाइट क एहन महत्व आन ठाम देखबा में नहिं आयल। चूस बाबा सन लोक सेहो दोसर क्यो नहिं भेटल।