कल्याणी, बच्चा में खाली नाम सुनैत रही, जयबाक सौभाग्य नहिं भेटल रहय। कारण पता नहिं, मुदा नहिं गेल रही। प्रायः वर्ष 1977 में पहिल बेर कल्याणी जयबाक अवसर भेटल, कल्याणी मेला क अवसर पर। सुनैत छलियैक, तैं उत्सुक रही। दिन में करीब 10 बजे मामा, छोटका मामा, सुनील मामा, हीरू मामा आ आन सभ क संग पयरे गेलहुं कल्याणी। अद्भुत अछि ई जलकर। किछु दिन पहिने मामा कल्याणी क फोटो पठौलैन्हि।
दुर्गागंज
दुर्गागंज, अर्थात, हमर मात्रिक। कटिहार जिला क कदवा प्रखंड क्षेत्र क मोहम्मदपुर पंचायत क एकटा गाम, जाहि ठाम सब किछु छैक। बैंक, पोस्ट आफिस, अस्पताल, स्कूल आ संगहि पढ़ल-लिखल लोक सभ। एहि गाम सं हमर कतेक रास संस्मरण अछि। खिस्सा क रूप में दुर्गागंज क इतिहास, भूगोल आ अन्य कतेको गप्प एहिठाम अहांके भेटत।
शुक्रवार, 16 नवंबर 2012
पहिल बेर गेलहुं कल्याणी
कल्याणी, बच्चा में खाली नाम सुनैत रही, जयबाक सौभाग्य नहिं भेटल रहय। कारण पता नहिं, मुदा नहिं गेल रही। प्रायः वर्ष 1977 में पहिल बेर कल्याणी जयबाक अवसर भेटल, कल्याणी मेला क अवसर पर। सुनैत छलियैक, तैं उत्सुक रही। दिन में करीब 10 बजे मामा, छोटका मामा, सुनील मामा, हीरू मामा आ आन सभ क संग पयरे गेलहुं कल्याणी। अद्भुत अछि ई जलकर। किछु दिन पहिने मामा कल्याणी क फोटो पठौलैन्हि।
रविवार, 4 नवंबर 2012
छोटा मामाजी क गप्पः मोची काम-खाट बीनो
छोटा मामाजी (धरणीश्वर सिंह, प्रसिद्ध सुदर्शन जी) दुर्गागंज क भगिनमान छलाह। पचही (मधुबनी) रहैन्हि हुनकर गाम। हुनकर माय, जिनका हम सभ पीसी नानी कहैत छलियैन्हि, हमर बाबू क एकमात्र बहिन रहथिन्ह। छोटा मामाजी क व्यक्तित्व अद्भुत छल। बच्चा सभ सं हुनका विशेष आसक्ति रहैन्हि। दुर्गागंज में हुनकर अलग स्थान छलैन्हि।
हम बच्चा रही। बाबू सभ इलाहाबाद में छलाह। हम सभ सेहो इलाहाबाद जाइत छलहुं। ओतय 1/25, जवाहर लाल नेहरू रोड में बाबू क डेरा छलैन्हि। छोटा मामाजी सेहो रहैत छलाह। हरदम हमरा कहैत छलाहः मोची काम खयबें, खाट बीनो खयबें। कहैत छलियैन्हि, हं, ते बाउंड्री वाल पर पसरल एकटा लत्ती वाला गाछ क पात तोड़ि कय ओहि पर एकटा ढेपा राखि कय दय दैत छलाह। इलाहाबाद में जूता सिलाई करबाक लेल जे लोक अबैत छलैक, से हांक लगबैत छल, मोची काम आ खटिया बीनय बला सभ कहैत छल खाट बीनो।
एक बेर दुर्गागंज में छोटा मामाजी स्कूल क फुटबाल टीम क संग मैच आयोजित करौलैन्हि। हाई स्कूल क टीम क मुकाबला में दुर्गागंज क टीम क सदस्य छलाह, मामा, छोटका मामा, चूस बाबा, बीनू बाबा (विनय गोपाल झा), कंतू मामा (कंत गोपाल झा), नेपू मामा (नृपेद्र गोपाल झा) आदि। ओहि मैच में हम लाइंसमैन रही।
छोटा मामाजी सं अंतिम भेंट हमरा पक्कू क उपनयन में भेल। ओहिने आसक्ति आ वात्सल्य सं भरल। हरदम सोर पाड़ैत छलाहः रौ राजू, खाट बीनो खयबें, मोची काम खयबें।
ठीके अद्भुत छलाह छोटा मामाजी।
हम बच्चा रही। बाबू सभ इलाहाबाद में छलाह। हम सभ सेहो इलाहाबाद जाइत छलहुं। ओतय 1/25, जवाहर लाल नेहरू रोड में बाबू क डेरा छलैन्हि। छोटा मामाजी सेहो रहैत छलाह। हरदम हमरा कहैत छलाहः मोची काम खयबें, खाट बीनो खयबें। कहैत छलियैन्हि, हं, ते बाउंड्री वाल पर पसरल एकटा लत्ती वाला गाछ क पात तोड़ि कय ओहि पर एकटा ढेपा राखि कय दय दैत छलाह। इलाहाबाद में जूता सिलाई करबाक लेल जे लोक अबैत छलैक, से हांक लगबैत छल, मोची काम आ खटिया बीनय बला सभ कहैत छल खाट बीनो।
एक बेर दुर्गागंज में छोटा मामाजी स्कूल क फुटबाल टीम क संग मैच आयोजित करौलैन्हि। हाई स्कूल क टीम क मुकाबला में दुर्गागंज क टीम क सदस्य छलाह, मामा, छोटका मामा, चूस बाबा, बीनू बाबा (विनय गोपाल झा), कंतू मामा (कंत गोपाल झा), नेपू मामा (नृपेद्र गोपाल झा) आदि। ओहि मैच में हम लाइंसमैन रही।
छोटा मामाजी सं अंतिम भेंट हमरा पक्कू क उपनयन में भेल। ओहिने आसक्ति आ वात्सल्य सं भरल। हरदम सोर पाड़ैत छलाहः रौ राजू, खाट बीनो खयबें, मोची काम खयबें।
ठीके अद्भुत छलाह छोटा मामाजी।
शनिवार, 1 सितंबर 2012
बुधवार, 4 जुलाई 2012
छोटका मामा क मोटर साइकिल
1974 में छोटका मामा एकटा मोटर साइकिल किनलैन्हि। बी.एस.ए., जे संभवतः एक लीटर पेट्रोल में पांच-दस किलोमीटर चलैत छलैक। असल में ओ मोटर साइकिल चलैत कम छलैक आ ठीक बेशी होइत छलैक। ओकरा स्टार्ट करबाक लेल ठेलबाक जरूरत पड़ैत छलैक। ओकर मिस्त्री छलैक भुवन मिस्त्री, जे पूर्णिया में रहैत छल। सप्ताह में तीन दिन ओ दुर्गागंज आबि दिन भरि मोटर साइकिल ठीक करैत छल। कैक बेर ओकरा बजेबाक लेल हमरो पूर्णिया पठाओल गेल।
एक बेर दुर्गागंज गेलहुं, त मामा के पंडित जी के पहुंचेबाक लेल जयबाक छलैन्हि। मामा हमरो संग लय लेलैन्हि। विदा भेलहुं। मामा मोटर साइकिल चलबैत रहथि। हम बीच में आ पंडित जी पाछू में रहथि। पंचवटी लग पहुंचलहुं तं बालू में मोटर साइकिल उलटि गेलैक। तीनू गोटा खसलहुं। चोट ककरो नहिं लागल, मुदा पायजामा में मोबिल क दाग लागि गेल।
छोटका मामा क ओ मोटर साइकिल के स्टार्ट करबाक लेल रमदेवा आ देविया रहैक। ओ सब ओकरा ठेल के स्टार्ट करय आ कूदि के पाछू में लगाओल गेल तख्ता बला सीट पर बैस जाय। अद्भुत छल ओ मोटर साइकिल।
एक बेर दुर्गागंज गेलहुं, त मामा के पंडित जी के पहुंचेबाक लेल जयबाक छलैन्हि। मामा हमरो संग लय लेलैन्हि। विदा भेलहुं। मामा मोटर साइकिल चलबैत रहथि। हम बीच में आ पंडित जी पाछू में रहथि। पंचवटी लग पहुंचलहुं तं बालू में मोटर साइकिल उलटि गेलैक। तीनू गोटा खसलहुं। चोट ककरो नहिं लागल, मुदा पायजामा में मोबिल क दाग लागि गेल।
छोटका मामा क ओ मोटर साइकिल के स्टार्ट करबाक लेल रमदेवा आ देविया रहैक। ओ सब ओकरा ठेल के स्टार्ट करय आ कूदि के पाछू में लगाओल गेल तख्ता बला सीट पर बैस जाय। अद्भुत छल ओ मोटर साइकिल।
सोमवार, 16 जनवरी 2012
टार्चलाइट क महत्व आ चूस बाबा
बच्चा में जहिया मात्रिक जाइत रही, एकटा चीज हरदम आकर्षित करैत रहय। सांझ भेला क बाद गाम क सभ गोटे लग टार्चलाइट जरूर रहैत छलैक। तहिया उत्सुकता रहैत छल। एक दिन बाबू से पुछलियैन्हि, तं बुझौलैन्हि- एहि ठाम सांप बहुत छैक। ताहि दुआरे सभ टार्चलाइट रखैत अछि।
मोन पड़ैत अछि चूस बाबा (गुजूर बाबू-मुखियाजी-नीक नाम चेतनारायण राय) लग पांच बैटरी वाला टार्चलाइट छलैन्हि। ओकर आकार छोट सन डंटा क बराबर छलैक। ओ अन्हार में चलैत छलाह, तं हाथ क डंटा पृथ्वी पर पटकैत छलाह। अद्भुत लोक छलाह चूस बाबा। दुर्गागंज सं वापस अयबा सं पहिने हुनका ओहिठाम एक सांझ भोजन जरूर होइत छल।
एखनहु दुर्गागंज में सांझ भेला क बाद सबहक हाथ में टार्चलाइट जरूर देखल जा सकैत अछि।
टार्चलाइट क एहन महत्व आन ठाम देखबा में नहिं आयल। चूस बाबा सन लोक सेहो दोसर क्यो नहिं भेटल।
मोन पड़ैत अछि चूस बाबा (गुजूर बाबू-मुखियाजी-नीक नाम चेतनारायण राय) लग पांच बैटरी वाला टार्चलाइट छलैन्हि। ओकर आकार छोट सन डंटा क बराबर छलैक। ओ अन्हार में चलैत छलाह, तं हाथ क डंटा पृथ्वी पर पटकैत छलाह। अद्भुत लोक छलाह चूस बाबा। दुर्गागंज सं वापस अयबा सं पहिने हुनका ओहिठाम एक सांझ भोजन जरूर होइत छल।
एखनहु दुर्गागंज में सांझ भेला क बाद सबहक हाथ में टार्चलाइट जरूर देखल जा सकैत अछि।
टार्चलाइट क एहन महत्व आन ठाम देखबा में नहिं आयल। चूस बाबा सन लोक सेहो दोसर क्यो नहिं भेटल।
गुरुवार, 6 अक्तूबर 2011
दुर्गागंज क दुर्गापूजा
2011 में दुर्गापूजा में दुर्गागंज जयबाक कार्यक्रम बनौने छलहुं। अंतिम समय में किछु अपरिहार्य कारणें कार्यक्रम स्थगित करय पड़ल। मुदा षष्ठी कें सांझ में अचानक मोन भेल जे दुर्गागंज जाई। तत्काल सभके कहलियैन्हि। भोरे चारि बजे विदा भेलहुं। अपन गाड़ी सं। राति आठ बजे दुर्गागंज पहुंच मोन शांत भेल। मामा, छोटका मामा, मामी सभ आ दीदीभैया, तिलक, रंजना, मयंक सं भेंट भेल तं बुझा पड़ल जे सभटा थकान उतरि गेल। मामा क संग भगवती घर गेलहुं। मोन आओर स्थिर भेल। अष्टमी, नवमी आ दशमी के खूब मोन लागल। शहर का भागमभाग सं दूर मामा सबहक वात्सल्य आ मामी सबहक दुलार क जवाब नहिं। दुर्गापूजा सं नीक तं हमर मात्रिक अछि, जतय प्रेम, आग्रह आ दुलार-वात्सल्य सभ किछु भेटैत अछि। अगिला एक वर्ष एकर संस्मरण सं जीवन चलि जायत।
फेर कहब दुर्गागंज क किछु आओर गप्प।
फेर कहब दुर्गागंज क किछु आओर गप्प।
गुरुवार, 7 जुलाई 2011
हमर सबहक बाबू
हमर सबहक बाबू अद्भुत छलाह। फुटबाल खेलाइत छलाह, कसरत करैत छलाह आ बच्चा सबहक संग बच्चा बनि जाइत छलाह। अंतिम बेर हुनका से भेंट भेल, त ओ बड्ड दुखित छलाह। हम मां के लय दुर्गागंज गेल रही। बाबू क बिछान पर बैसल रही। बाबू हमर हाथ क नह देखलैन्हि, तं कहलैन्हि जे कहिया सं नहिं कटौलें। फेर पुछलैन्हि, बंबईया कालोनी देखलें। हमरा किछु बुझा नहिं पड़ल। दीदीभैया (हमर दोसर मौसी) इशारा कयलैन्हि जे पुछियौन कतय बनलैक। हम कानय लगलहुं। बाबू के एतेक कमजोर आ दुखित कहियो नहिं देखने छलियैन्हि।
जहिया दुर्गागंज जाई, शुक्र क हाट से गुलेती जरूर अबैत रहय। बिंचा (हमर मात्रिक क एकटा अद्भुत नौकर) ओकर हत्था बनाबय आ हम माट क गोली बनाबी। बाबू हमरा गुलेती से निशाना लगेबाक लेल उत्साहित करथि। कचमिट्ठा आम खाई ले लोहा क छुरी भेटैत छल। रोज भोरे बाबू जलखै करैत छलाह, दूध-रोटी। ओहि में से हमरा कारा खुअबैत छलाह।
एहने आओर खिस्सा कहब।
जहिया दुर्गागंज जाई, शुक्र क हाट से गुलेती जरूर अबैत रहय। बिंचा (हमर मात्रिक क एकटा अद्भुत नौकर) ओकर हत्था बनाबय आ हम माट क गोली बनाबी। बाबू हमरा गुलेती से निशाना लगेबाक लेल उत्साहित करथि। कचमिट्ठा आम खाई ले लोहा क छुरी भेटैत छल। रोज भोरे बाबू जलखै करैत छलाह, दूध-रोटी। ओहि में से हमरा कारा खुअबैत छलाह।
एहने आओर खिस्सा कहब।
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